Saturday, 5 February 2011

gazal

वो इश्क़ जो हमसे रूठ गया
अब उसका हाल बताएं क्या
कोई मेहर नहीं कोई क़हर नहीं
फिर सच्चा शेर सुनाएँ क्या
इक हिज़्र जो हम को ला हक है
ता देर उसे दोहराएँ क्या
वो ज़हर जो दिल में उतार दिया
फिर उसके नाज़ उठायें क्या
इक आग गमे तन्हाई की
जो सारे बदन में फैल गई
जब जिस्म ही सारा जलता हो
फिर दामने दिल को बचाएं क्या
हम नग्मा सरा कुछ गज़लों के
हम सूरत गर कुछ ख़्वाबों के
बेज़ज्बा ए शौक़ सुनाएँ क्या
कोई ख़्वाब न हो तो बताएं क्या ---
-- अतहर नफीस

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